Saturday, December 26, 2015

खेल में राजनीती या राजनीती का खेल

हमारे  देश  में खेल और राजनीती दोनों ऐसे  घुले -मिले  हुए  हैं  जैसे डेल्ही की  हवा और प्रदुषण, मोदी जी  और अच्छे  दिन , बाबा  रामदेव और स्वदेशी। क्रिकेट  के  इतने  लोकप्रिय  होने  के बावजूद हॉकी अभी भी हमारा राष्ट्रीय खेल सिर्फ इसीलिए बना हुआ है क्योंकि अब ये मैदानों  के  बजाय  खेल संघो/संस्थाओ में  खेला जाता हैं (अपने विरोधियो  के खिलाफ गोल करने के लिए) और हॉकी  स्टिक  का उपयोग अब गोल  करने के  बजाय घायल  करने  में  होता हैं।

हॉकी की गिरती  हुई  लोकप्रियता को सँभालने के लिए  कई  पूर्व  हॉकी खिलाड़ियों ने सन्नी देओल से रिक्वेस्ट की हैं की वो अपनी आगामी फिल्म “घायल वन्स अगेन’ के एक्शन सीन्स में हॉकी स्टिक  का बहुतायत से प्रयोग करे।

हमारे खेल संघो पर  अकसर भ्रष्टाचार, अकर्मण्यता  और तानाशाही के  आरोप  लगते  हैं  लेकिन ये आरोप निराधार किस्म के हैं क्योंकि खेल संघ भारतीय सवैंधानिक  मान्यतो के सबसे बड़े रक्षक हैं क्योंकि  यहाँ बिना किसी  दलगत, जातिगत और धार्मिक  भेदभाव के  सभी तबको  के  लोगो द्वारा समान  रूप  से  सभी खेलो और खिलाड़ियों के साथ खिलवाड किया जाता हैं.

खेलसंघो में  राजनेताओ  के प्रवेश का  विरोध भी  दुर्भावना  से प्रेरित  हैं।  राजनेता ही खिलाड़ियों  के सच्चे  शुभचिंतक हो सकते हैं क्योकि  खेल  संघो  के राजनैतिक  पदाधिकारो  से  खिलाड़ियों  को “आल-राउंडर” बनने की सीख मिलती हैं,  करोडो का भ्रष्टाचार करके भी  अपना हाज़मा सहीं रखने वाले  राजनेता ही खिलाड़ियों को हमेशा फिट रहने का मंत्र दे सकते हैं, और तो और खिलाडी राजनेताओ से राजनीती के कुछ गुर सीखकर जल्दी ही  अपनी टीम का  कप्तान भी बन सकते हैं.

अभी हाल ही में बीजेपी ने अपने एक सांसद और पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाडी कीर्ति आज़ाद को  अपनी  ही पार्टी  के  एक नेता  पर  खेल संघ में  भ्रष्टाचार  के आरोप लगाने  के  लिए  निलंबित कर दिया, पार्टी का  कहना हैं की उनको  भ्रष्टाचार  के आरोप  लगाने का कोई अधिकार नहीं हैं क्योंकि उन्होंने खिलाडी रहते हुए जितने  रन बनाये होंगे उससे ज़्यादा तो मोदी जी विदेशी दौरे कर चुके हैं और मार्गदर्शक  मंडल से  मदद  मांगने  के बाद भी  “कीर्ति  प्राप्त करने” और “आज़ाद रहने का” अधिकार बीजेपी के सविंधान और मजबूत आंतरिक  लोकतंत्र  के खिलाफ  हैं। कीर्ति  आज़ाद को निलंबित करने को , पार्टी भ्रष्टाचार के विरुद्ध बड़ी जीत बता रहीं हैं क्योकि पार्टी  का शुरू से मानना रहा हैं की भ्रष्टाचार एक ऐसा संक्रामक रोग हैं जो इसका खुलासा  करने से ज़्यादा फैलता है।

वहीँ कीर्ति आज़ाद का कहना है की मार्गदर्शक  मंडल से मदद मांगना  उनके  लिए  स्वाभाविक  ही था क्योंकि मार्गदर्शक मंडल बीजेपी में  बारहवे  खिलाडी (12th man)  की  भूमिका  निभाता हैं और  उन्होंने भी अपने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट केरियर में  ज़्यादातर  समय  यहीं  भूमिका निभाते हुए  कई ना टूटने वाले रिकॉर्ड  बनाए है ।

वहीँ केजरीवाल का कहना  था की कीर्ति आज़ाद  को  बाहर निकाल  कर  बीजेपी ने  सिद्ध कर  दिया की  वो  भ्रष्टाचार में आकंठ  डूबी हैं, हालांकि उन्होंने   भूषण और यादव को पार्टी  से सिर्फ ग्लोबल वार्मिंग  के दुष्परिणामों से बचने के लिए निकाला था।

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