नयी दिल्ली: भारत के शिक्षा इतिहास में एक नया मोड तब आ गया जब दिल्ली सरकार ने प्रदूषण सीमित करने के लिये even-odd फॉर्मूले को अपनाने की घोषणा कर दी। यह देखकर HRD मिनिस्ट्री ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि even-odd सिद्धांत से संबंधित एक प्रश्न कक्षा १ से IIT-JEE के प्रश्न- पत्रों मे शामिल किया जाए| नतीजतन even-odd (सम-विषम) अंक का सिद्धांत अब बीजगणित की पुस्तकों में ही सीमित न रहकर नागरिकों के मानस पटल पर स्थाई रूप से अंकित होने वाला है|
HRD मिनिस्टर ने हमारे पत्रकार विषम सिंह से खास मुलाकात में कहा, “मैं तो दिल्ली सरकार के इस निर्णय पर हंस ही रही थी कि अगले ही दिन इस विषय पर मेरी वार्ता बा से हो गयी, मैं तो चकित ही रह गयी की बा तो even-odd के सिद्धांत से अनभिज्ञ हैं| मैंने उसी समय यह निर्णय किया कि भले ही चार पीढ़ी पहले के वयस्क यह सिद्धांत न जान पाए, किंतु आने वाली पीढ़ी इसे समझकर ही वृद्ध होगी|”
सूत्रों के मुताबिक शिक्षा विभाग के इस निर्णय से कुछ अध्यापक-गण दबाव में आ गये हैं| साकेत के केंद्रीय विद्यालय के गणित के अध्यापक श्री समकुमार को यह कहते सुना गया, “मैं तो खुद ही कन्फ्यूज़्ड हूँ की infinity ईवन है या ऑड, बच्चों को अब पढ़ाना पड जाय तो मेरे हाथों से पसीना निकलना निश्चित है| अगर नहीं पढ़ाया तो CBI रेड मार सकती है|”
वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों में खुशी की लहर दौड पड़ी है| उनके अनुसार भले ही अध्यापक-गण इस सिद्धांत को पढाने से विमुख हो जाएँ, परंतु वे किसी भी समय दिल्ली की सड़कों का दौरा कर इस सिद्धांत का गूढ अर्थ समझ सकते हैं| अतः वे इस विषय पर एक निश्चित प्रश्न पूछे जाने पर विभाग का शुक्रिया अदा कर रहे हैं, और गणित के प्रश्न पत्र में ख़ाता खोलना अब आसान मान रहे हैं|
विद्यार्थियों की इस खुशी को देखकर भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) के निदेशक का कहना है, “भले ही IIT भी इस विषय पर एक प्रश्न शामिल करेगा परंतु विद्यार्थियों को उसे हल्के में नही आँकना चाहिए| We will test your analytical thinking.” RAW के गुप्त सूत्रों से पता चला है कि JEE-Advanced इस बार -२, २ में से ईवन संख्या पहचानने के लिए देगा| यह अपेक्षित है कि केवल होनहार छात्र ही इसका सही जवाब दे पाएँ क्योंकि दिल्ली के वाहनों के नंबर हेतु ऋणात्मक संख्या का प्रयोग नहीं होता है|
अब यह तो समय ही बताएगा कि शिक्षा विभाग का यह क्रांतिकारी निर्णय, भारत में शिक्षा के स्तर को सुधारने में मील का पत्थर साबित होगा कि नहीं|
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