बरेली, उत्तर प्रदेश। रवीश को लगता था उसके साथ कुछ बुरा नहीं हो सकता। बचपन से ही उसकी ज़िन्दगी बड़े आराम से कट रही थी। स्कूल में फ़ेल हुआ तो पापा ने स्कूल ही बदलवा दिया, लेकिन उसे कभी परेशानी नहीं आने दी। बड़ा हुआ तो क़िस्मत का धनी निकला। इंजीनियरिंग कॉलेज में भी उसे गर्लफ़्रेन्ड मिल गयी।
उसे पूरा यक़ीन हो चुका था कि उसकी पूरी ज़िन्दगी ऐसे ही मक्खन की तरह “स्मूथ” चलने वाली है, जहां उसे आने वाले दिनों के लिए चिन्ता करने या उसके लिए “प्लानिंग” करने की ज़रूरत नहीं है।
नौकरी भी अच्छी मिली और सैलरी भी। रवीश मज़े में जी रहा था।
फिर उसकी शादी हो गई। उसी लड़की से जो उसकी गर्लफ़्रेन्ड थी इंजीनियरिंग कॉलेज में। हनीमून तक तो सब ठीक रहा, लेकिन जल्द ही रवीश को पता चला कि अब उसके पास पत्नी थी, गर्लफ़्रेन्ड नहीं।
“मेरे और मेरी पत्नी के बीच ज़्यादा लड़ाई नहीं होती, सिवाय इसके कि वो मुझे बार बार इंसान बनने के लिए कहती रहती है,” रवीश ने अपनी आपबीती इस रिपोर्टर को सुनाई, “वो तो मैं एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देता हूं, लेकिन मेरी मम्मी के साथ इसके झगड़े की बात नहीं निकल पाती।”
“अरे, एक कान से मेरी बीवी के बात अंदर जाती है, और दूसरे कान से मम्मी की बात। अब निकालूं किधर से?” अब तक क़िस्मत के धनी रहे रवीश ने झल्लाते हुए और तीसरे कान की कामना करते हुए कहा।
कुछ दिनों पहले जब ऑफ़िस में एचडीएफ़सी लाइफ़ के एक इंश्योरेंस एजेन्ट से जब रवीश की मुलाक़ात हुई, तो रवीश ने एचडीएफ़सी से इस लफड़े से बचने का प्लान मांग डाला।
“मैंने उन्हें एचडीएफसी लाइफ के टर्म प्लाँस के फ़ायदे गिनाने शुरू किए, जैसे कि अगर कोई आफ़त आ जाए तो कैसै पैसों की मदद मिल जाता है, पर ‘आफ़त’ की बात सुनते ही वो अपनी मां-बीवी के झगड़े की बात करने लगे और मेरे सामने ही फूट फूट कर रोने लगे।” एचडीएफ़सी लाइफ़ के एक एक्ज़ेक्युटिव ने फ़ेकिंग न्यूज़ को बताया।
“उन्हें हमारी एक्सीडेंट और बीमारी से संबंधित किसी पॉलिसी मे रूचि नही थी क्यूंकी उनके अनुसार शादी नामक एक्सीडेंट उनके साथ हो चुका है और माँ-बीवी की लड़ाई सुन कर कान से खून निकलना ही उनकी एकमात्र बीमारी है. उन्हों ने मुझसे कोई स्पेशल बीमा पॉलिसी माँगी जिसमे सास-बहू लड़ाई को भी कवर किया जाए,” एक्ज़ेक्युटिव ने रवीश की मांग बताई।
“मैनें उन्हें बताया कि हम सास-बहू की लड़ाई तो कवर नहीं कर सकते लेकिन एचडीएफसी लाइफ के टर्म प्लाँस से ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके दुनिया से, भगवान न करे, अचानक चले जाने के कई साल बाद तक भी उनकी माँ और बीवी चैन से रह सकती हैं और खुशी खुशी लड़ाई कर सकती हैं। लेकिन उनकी रूचि फिलहाल सिर्फ़ अपनी माँ-बीवी की लड़ाई से बचने लिए ही किसी प्लान मे थी,” एक्ज़ेक्युटिव ने बताया।
एचडीएफ़सी लाइफ़ ने फ़िलहाल ऐसी किसी इंश्योरेंस प्लान के न होने की बात की है, पर उन्होंने रवीश को मां और बीवी दोनों के खाते में ज़्यादा समय के निवेश करने की सलाह दी है।
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