Thursday, March 3, 2016

घाघ बजटकारी का बजट विश्लेषण

कुछ जानकारों ने बजट को जुमला बजट घोषित कर दिया हैं। वित्त मंत्री की बजट आरंभ वाली शायरी के अलावा इन जानकारों के पुरा बजट समझ आ गया था। ऐसे जानकार बजट को अगले चुनाव से जोड़ देते हैं। इनका अपना एक जुमला हैं “चालु वित्त -वर्षीय घाटा।” कुछ पल्ले नहीं पड़ने पर ये इनका ब्रह्मास्त्र होता हैं। इनका दुसरा प्रिय जुमला “चीन, दाम और अन्तराष्ट्रीय वित्त स्तिथि” रहता हैं। कुछ पुराने घाघ बजटकारी इसे अर्थवयवस्था को दिशा देने वाला या दिशाविहीन बोल के निकल जाते हैं।

भारतीय किचन (बजट के पहले)

भारतीय किचन (बजट के पहले)

मध्यम वर्ग और EPF का पुराण जारी हैं। निकासी (विथड्रावल) के 60% पर टैक्स मूल पे देना हैं या interest पर, इसकी मंत्रणा में वित्त मंत्रालय एक और रामायण लिख रहा हैं। ASAP (एस सून अस पॉसिबल) यानी मध्यम वर्ग पिछले 7 -8 वर्षो से बजट बनाने वाले मंत्री की कुल सम्पति भुल जाता हैं।

इधर राजनीति में तथाकथित दक्षिण-पंथी जहाँ बजट में CESS के बढ़ते दर को लोक कल्याणकारी बता रहे हैं, वामपंथी सरकार द्वारा भारत के सबसे सभ्रांत 70 लाख लोगो पर अत्याचार बता रहा हैं।

इधर उत्तराखंड में 27 फरवरी की रात एक सब्जी की दुकान का ताला तोड़ 1400 रुपये नगदी और 50 किग्रा का प्याज का कट्टा चोरी हो गया। दुकान का ताला तोड़कर रुपए और प्याज चुराते हुए पुलिस कांस्टेबल और होमगार्ड की तस्वीरें सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई हैं। पूछने पर सिपाही जी ने बताया की ऐसे ही एक बजटकारी ने उसे प्याज पे बढने वाली टैक्स के बारे में बताया था। दिल्ली के श्रीमती अरोड़ा के रसोई में चलने की जगह नहीं हैं। बजट के पहले ही तीन -चार महीने का रासन इक्कठा हो गया हैं। श्रीमान अरोड़ा जी के कार में भी ठूँस -ठूँस कर आटा-दाल, तेल भरे हुए हैं।

EPF पे रायता अभी बाकी हैं मेरे दोस्त….

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