Tuesday, January 19, 2016

कोचिंग क्लास ने आईआईटी में एडमीशन न होने पर मां-बाप की डांट से बचने का बीमा बेचा

कोटा, राजस्थान। ‘गोयल आईआईटी ड्रीम्स प्राइवेट लिमिटेड’ अपने छात्रों को आईआईटी तो नहीं पहुँचा सकी लेकिन उनसे उनके माँ-बाप की बचाई हुई रकम का आख़िरी पैसा तक ख़र्च करवाने मे कामयाब रही है।

कोटा जंक्शन- अब कोई खाली हाथ ना वापिस जाए

कोटा जंक्शन- अब कोई खाली हाथ ना वापिस जाए

आईआईटी की प्रवेश परीक्षा मे नाकामी के बाद जब गोयल आईआईटी ड्रीम्स के छात्र इस ग़म मे डूबे थे कि घर जा कर क्या मुँह दिखाएँगे, संस्थान के संस्थापक राजीव गोयल ने अपने सभी छात्रों को एक नये किस्म की बीमा पॉलिसी बेची जिसके अंतर्गत उनके माँ-बाप उन्हें इस असफलता पर डाँट नहीं सकते।

दो साल की फीस, होस्टल का किराया, मेस का बिल, चाय के खोखे, शराब के ठेके, और पॅनवाडी का उधार चुकाने के बाद जिस छात्र के पास जितने पैसे बचे थे, गोयल जी ने उतने उतने पैसे प्रीमियम ले कर सबको ये पॉलिसी थमा दी जिससे वो बेफ़िक्र अपने घर जा कर अपने माँ बाप का सामना कर सकें।

हमारे पत्रकार से बातचीत करते हुए गोयल जी ने कहा, “देखिए आज कल हर आदमी कोई ना कोई बीमा पॉलिसी लेता ही है। आप एचडीएफ़सी लाइफ़ की वेबसाइट पर जाइए, हर तरह के बीमे की स्कीम है, प्रोटेक्शन प्लान, हेल्थ प्लान, रिटाइरमेंट प्लान, महिलाओं के लिए विशेष प्लान। जब ये सब प्लान हैं ज़िंदगी की हर मुसीबत से बचने के लिए, तो इन युवाओं के असफल होने पर इन्हें बचाने का प्लान क्यूँ नहीं? तो मैने सोचा मैं इनका बीमा करवा ही देता हूँ। इंजीनियर ना सही, कम से कम ये सब बीमा करवा कर समझदार तो कहलाएँगे!”

“मैने इनकी सबसे बड़ी ज़रूरत को समझा – माँ-बाप की डाँट से बचना, और उस अनुसार एक पॉलिसी बना कर बेच दी। इसमें ग़लत क्या है?” राजीव गोयल ने पूछा।

जब हमने गोयल जी से पूछा कि वो शिक्षक हैं या इंश्योरेंस एजेंट, तो उन्होने जवाब दिया, “शिक्षक होते होंगे दिल्ली मे, कोटा मे तो सिर्फ़ व्यापारी रहते हैं।”

जब हमने उनके छात्रों से बात की तो वो इस बीमा पॉलिसी को ले कर काफ़ी उत्साहित दिखे, एक छात्र संदीप ने कहा, “देखिए जी, हम तो वैसे इंजीनियर नहीं बनना चाहते थे। बिना लड़की देखे कौन चार साल बिताएगा? माँ-बाप ने ज़बरदस्ती भेज दिया। सोचा था कि दो साल ऐश करेंगे और फिर डाँट खा लेंगे, लेकिन अब तो हम उस डाँट से भी बच सकते हैं तो क्यूँ नहीं? ज़बरदस्त बीमा पॉलिसी है।”

जब हमारे पत्रकार ने एचडीएफ़सी लाइफ़ के एक एक्ज़ेक्युटिव से पूछा तो उन्होने बताया कि इस तरह का कोई बीमा नहीं है, और गोयल साहब का बीमा प्लान उतना ही रद्दी है जितने उनके दिए हुए नोट्स।

“ऐसे फ़र्ज़ी टीचर से बचने का बीमा होना चाहिए मैं तो कहता हूं,” एक्ज़ेक्युटिव ने साफ़ किया।

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